वो लड़की कभी जी ही नहीं पाई। जब उसे पहली बार प्यार हुआ था तब भी नहीं। और अब जब उसके बेटे की शादी हो गई है तब भी नहीं।
जब उसे प्यार हुआ था तब पूरा घर उसका दुश्मन हो गया था। सबने कहा था ये गुनाह है। फिर भी छिप-छिप कर चंद दिनों तक तक वो अपनी चाहत से मिलती रही लेकिन घर वालों ने जल्दी में उसकी शादी कर दी। फिर किसी को पता ही नहीं चला कि कभी उसकी कोई चाहत भी रही थी।
28 साल पहले बीस साल की उम्र में अपने पति के पीछे पीछे वो उस शहर में चली गई थी जहां उसकी चाहत उसका पीछा नहीं कर सकती थी। मैं तब उससे मिला था। मैंने उसकी चमकती आंखों में झांका था। उसकी आंखों का रंग बदल गया था। मैंने देखा था उसकी आंखों का रंग पीला हो गया था।
फिर मैं उससे कई बार मिला। हर बार मैंने देखा उसकी आंखों का पीला रंग गहराता जा रहा था। उसके मुर्झाते लेकिन मुस्कुराते चेहरे को पढ़ने की कई बार मैंने कोशिश की, लेकिन कभी पढ़ नहीं पाया।
फिर मैंने पीली आंखों वाली लड़की के बारे में सोचना छोड़ दिया। मुझे लगता था कि वो अब इन पीली आंखों के साथ जी लेगी। वो एक अमीर पति की पत्नी बन गई थी और चमकती आंखों वाले दो बच्चों की मां बन गई थी।
उसने रात को रात नहीं समझा, दिन को दिन नहीं माना। उसने खुद के लिए कुछ नहीं किया, जो कुछ किया बस अपने पति, दो देवरों, तीन ननदों और दो बेटों के लिए किया। उसने उनमें से किसी आंखों को कभी पीला नहीं पड़ने दिया। इस क्रम में उसके 28 साल निकल गए।
बहुत सालों बाद एक बार फिर मैं उससे मिलने गया था। मैंने इस बार गौर से देखने की कोशिश की, लेकिन मैं चाह कर भी उससे नजरें नहीं मिला सका। मैं मन ही मन सोच रहा था, क्या ये जी रही है?
मेरे पास सिर्फ सवाल थे, जवाब नहीं थे। पीली आंखों वाली लड़की के पास सवाल और जवाब दोनों नहीं। बाकियों के लिए तो ये सवाल ही बेतुका था।
उसकी आंखों का पीलापन बढ़ता गया, और चेहरे की मुर्झाहट भी बढ़ती गई।
एकदिन वो बिस्तर पर गिर गई। तब घर के लोगों को लगा कि कुछ गड़बड़ है। डॉक्टर ने तुरंत उसका इलाज शुरु कर दिया।
कई दिनों से उसकी पीली आंखों का इलाज करने वाले डॉक्टर अब भी उसका इलाज कर रहे हैं। कहते हैं वो बच जाएगी। लेकिन कैसे ? बचने के लिए उसे शरीर का जो अंग चाहिए वो उसे कौन देगा ? वो भी नहीं देंगे जिनकी आंखों को पीला पड़ने से वो बचाती रही है पूरे 28 साल तक।
फिर भी मैं चाहता हूं कि वो थोड़ा और जी ले.. एक बार अपने लिए जी ले..बिना पीली आंखों के जी ले....ये जानते हुए भी कि न तो वो कभी जी पाई और न आगे जी पाएगी।
मैं ऐसा क्यों चाहता हूं?
...क्योंकि उसने न जाने कितनी बार मुझे गले से लगाया है दोस्त बन कर , और सीने से लगाया है मां बन कर।
Friday, 13 March 2009
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